शिकार और शिकारी
इतने सालों बाद आज उन्हें खेतों में किसानों के बीच देख लग रहा है कि चुनाव आ गए हैं और पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया है या वे टिकट मिलने के लिए वे पूरी तरह आश्वस्त हैं।
पिछले 5 सालों से वे क्षेत्र में दिखाई नहीं दिए।
किसानों और झुग्गी झोपड़ियों के लोग तो उनके दर्शनों को तरस गए थे ।
उनके दर्शन करते रहने की आस में ही पिछली बार उन्हें वोट दिया था।
चलो देर आए दुरुस्त आए।
आज वे लोगों के बीच जाकर हंस रहे हैं ।बतिया भी रहे हैं।
लो उन्होंने एक अधनंगे बच्चे को गोद में भी उठा लिया है उन्हें दूर से चूम रहे हैं।
उनके होंठ बच्चे के गंदे गालों को छू नहीं पाए इसका उन्हें पूरी तरह ख्याल है ।
मुंह और गाल के बीच डिस्टेंस बनाए हुए हैं । फोटोग्राफर ने ऐसे एंगिल से फोटो ली है जिसमें वे पूरी तरह उस बच्चे को प्यार से चूमते हुए दिख रहे हैं। उनके होंठ बच्चे के गाल को छूते हुए दिख रहे हैं। इस तरह की फोटो खिंचवाने का उन्हें काफी तजुर्बा है और फोटोग्राफर को इस प्रकार की फोटो लेने का।
कल अखबार की हेड लाइन यही बनेगी।
बालक को चूमते हुए नेताजी की फोटो।
बच्चों से कितना प्यार करते हैं नेताजी।
उसके गालो को चूमते हुए उनका फोटो लोगों को बताएगा कि उन्हें इन लोगों की कितनी फिक्र है। गरीबों के बच्चों से वे कितना प्यार करते हैं।
आज वे कार में भी नहीं बैठे हैं। पैदल ही घूम रहे हैं ।उनके साथ चल रहा गार्ड भी लोगों को नहीं हटा रहा हैं ।लोगों से वह गाली भी नहीं दे रहा हैं ।
वे लोगों को हाथ जोड़ कर नमस्कार कर रहे हैं।
लोग बड़े आश्चर्यचकित हैं । लगता है वे हाथ जोड़कर मुस्कुराकर शिकार फंसा रहे हैं।
शिकार इस सब से अनजान हैं वह शिकारी के जाल में फंसता चला जा रहा है।
उनके पीछे जुलूस चल रहा है लोग उनकी जय-जयकार कर रहे हैं।
आज वे बड़े प्रेम से बतिया रहे हैं। उनकी बातों से शहद टपक रहा है । लोग शहद चख रहे हैं।उसके मिठास से अपने मुंह का कसैलापन भूलते जा रहे हैं ।
उनका चेहरा बिल्कुल टमाटर की मानिंद लाल है। गाल भी सेव हो रहे हैं।
होंठ बिल्कुल गुलाब की पंखुड़ी की तरह है लेकिन उन्हें इसकी परवाह नहीं है।
वे धूप में चलकर लोगों से उनके हाल चाल पूछ रहे हैं उन्हें लोगों की बहुत फिक्र है । इतनी गर्मी में भी वे अपनी फिक्र किए बगैर लोगों की फिक्र कर रहे हैं कितने परोपकारी है जनता की भलाई चाहने वाले हैं ।
उनके साथ चलने वाले लोग, लोगों को यह सब समझा रहे हैं।
उनकी दयालुता और नेकनियती से लोगों को वाकिफ करवा रहे हैं।
आज भी महानगरों की बड़ी-बड़ी अट्टालिका से निकल कर लोगों की परवाह करने वे उनके पास आए हैं।
पहले लोग उनके दर्शन करने उनके दरवाजे जाते थे तब भी उनके दर्शन दुर्लभ थे।
उनके दर्शन करना भगवान के दर्शन करने के समान था।
भक्तों को बहुत भक्ति करनी पड़ती थी तब कहीं जाकर उनके दर्शन नसीब होते थे।
आज हो रहे हैं ।आज खुद वे अपने भक्तों को दर्शन देने उनके बीच आए हैं।
भक्तों के भाग्य खुल गए हैं।
देखो देखो उनके सामने से सुंदर-सुंदर महिलाएं ,युवतियां जा रही हैं उन्हें आज वे सब मां बहनें बनजर आ आ रही है ।उनकी दृष्टि आज बहुत पवित्र है।
गजब हो गया!
आज वे उन्हें भी हाथ जोड़ कर, सिर झुका कर नमस्कार कर रहे हैं।
उनकी आंखों से बहशीपन बिल्कुल गायब है। सोम्यता चेहरे से टपक रही है उनके अंदर का दानव आज बिल्कुल मर गया है। वे देव बन गए हैं।
लोग उन्हें उलाहना दे रहे हैं, उन पर कमेंट कर रहे है फिर भी वे लोगों पर बिल्कुल नाराज नहीं हो रहे हैं।
कुछ लोग उन्हें गाली भी दे रहे हैं शायद उन्हें कुछ सुनाई नहीं दे रहा है ।गालियां तो बिल्कुल नहीं।
वे परमहंस बन गए है।
आज वे शिकार करने निकले हैं। शिकारी के सारे पैंतरों का वे इस्तेमाल कर रहे हैं ।
शिकार कहीं बिदक नहीं जाए। उसे वे प्यार से सहला रहे हैं।
आंखों में दरिंदगी दिखने मात्र से शिकार छिटक सकता है, दूर भाग सकता है।
इसका उन्हें पूरा पूरा ध्यान है।
शिकार भोला है, मासूम है। वह
उनकी पुरानी बातों को भूलता जा रहा है उनके देवत्व को देख वे उन्हें अपना रक्षक नजर आने लगे है।
उनके कहे अनुसार ही कह कर रहा है ।
लो वे उनके चरणों में झुक गए।
आश्चर्य हो गया ऐसा कैसे संभव है? भगवान भक्त के चरणों में? भक्त पानी पानी हो गया है । भक्त भगवान की सदाशयता का कायल हो गया है । भक्त भी भगवान के चरणों में झुक गया है। वह अब हाथ जोड़ रहा है ।गाली देना भूल गया है।
वे शिकार को चुगा डाल रहे हैं। शिकार चुग्गे के लालच में जाल में फंसता जा रहा है।
वह और चुग्गा डाल रहे हैं। शिकार और अच्छी तरह से जाल में फंसता जा रहा है।
शिकारी शिकार को अपना मालिक और स्वयं को सेवक बता रहा है।
शिकार उनके बड़प्पन का कायल हो गया है।
वह स्वयं को मालिक समझ रहा है ।सेवक को सेवा करने का अवसर देने का उसने विचार बना लिया है।
अब वे पूरी तरह आश्वस्त है। शिकार शिकारी के जाल में पूरी तरह फंस गया है।
लेख ~हनुमान मुक्त
Bahut khoob ……enjoyed reading it