सवालों का कोरेण्टाइन
#
चैनल के स्टूडियो में” आज की अदालत” की शूटिंग चल रही थी। एक तरफ मुजरिम का कटघरा बना हुआ था ।जिसमें वे बड़ी शानोशौकत से सोफे पर बैठे थे।
इस कटघरे में मुजरिम बनकर बैठने का अवसर बहुत यह यह कम लोगों को नसीब होता है। उन्हें हुआ और वे सेलिब्रिटी बन गए ।
वैसे इस कटघरे में बैठने वाले ज़्यादातर मुजरिम सेलिब्रिटी ही होते हैं या यों कहिए इसमें बैठने वाला मुजरिम सेलिब्रिटी बन ही जाता है ।
वे पहले से ही सेलिब्रिटी थे।
वैसे भी सेलिब्रिटीज को वास्तविक अदालतें अपने कटघरे में बैठाने से परहेज ही करती हैं। उन्हें भी अब तक कर रखा था।
सामने दर्शक दीर्घा थी। इसमें बैठे व्यक्ति भी कम सेलिब्रिटी नहीं थे । इनमें और कटघरे बैठे लोगो में ज्यादा अंतर नहीं होता है। कभी इसमें बैठे व्यक्ति कटघरे में तो कभी कटघरे में बैठा दर्शक दीर्घा में । समय परिवर्तनशील है। परिवर्तन सृष्टि का नियम है।
यहां बैठे व्यक्ति मुजरिम से किसी भी प्रकार का प्रश्न पूछने के लिए स्वतंत्र थे।
मुजरिम भी प्रश्न का उत्तर दे या नहीं दे ।इसके लिए स्वतंत्र था। दर्शक दीर्घा में बैठे एक सेलिब्रिटी ने खड़े होकर पूछा।
“क्या मैं कोरोना के बारे में पूछ सकता हूं?”
“नहीं ।आप कोरोना के बारे में नहीं पूछ सकते।’
“वायरस ?”
“इसके बारे में भी नहीं ।”
“आइसोलेटेड ?”
“बिल्कुल नहीं।”
“टेस्टिंग रेट्स?”
” नहीं !”
“पीपीई किट?”
“कतई नहीं।”
“संक्रमण?”उन्होंने ना में सिर हिलाया और खीझ कर बोले,”क्या तुम इटली से आए हो?”
इसके जवाब में वे कुछ नहीं बोले और अपना प्रश्न जारी रखा।
“निजामुद्दीन?
” नहीं।”
“मरकज?”
“इसे भी नहीं ।”
“तबलीगी जमात?”
” ना।”
“मौलाना साद?”
” ना ना।”
“लॉक डाउन?
“नो।”
“तीन सप्ताह?”
“नो”
“तीन मई ?”
” नो नो ।”
” मजदूर ?”
“ना भाई ना।”
” दवाई ,राशन?”
“नहीं ।”
” मध्य प्रदेश”
“अब यह कहां से आ गया?”
“माधवराव सिंधिया?”
” नहीं कहा ना ।”
“शिवराज सिंह चौहान?”
” नहीं।”
” एफडीआई?”
“नहीं नहीं।”
“जीडीपी?”
“ना बाबा ना।”
“ट्रंप की यात्रा?”
” बस !बस !भगवान के लिए अब बस कीजिए। बोलने की भी एक हद होती है।आप हमारा और अदालत का कीमती वक्त बर्बाद कर रहे हैं।”
“आखिर आप मुझे सीरियसली क्यों नहीं ले रहे है? मेरे प्रश्नों का उत्तर क्यों नहीं दे रहे हैं? जबकि दर्शक दीर्घा में बैठा कोई भी व्यक्ति मुजरिम से प्रश्न करने के लिए स्वतंत्र है।”
प्रश्न पूछने वाला अपने आप को अपराधी सा महसूस कर रहा था और कटघरे में बैठा अपराधी प्रश्न का उत्तर नहीं देकर प्रश्न करने वालों को चिढ़ा रहा था।
कटघरे में बैठे मुजरिम ने अपने सर पर आए पसीने को अपने रुमाल से पोंछा और सीरियस होने का स्वांग करते हुए बोला,
” आपको देखते ही हम सीरियस हो जाते हैं ।आपको सुनते ही हमारे दिमाग से सारे प्रश्नों के उत्तर गायब हो जाते हैं। कृपया अन्य किसी को प्रश्न पूछने का अवसर दीजिए । जिससे उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर हम दे सकें।”
“क्या मैं देश के लोगों को यह
भी नहीं बता सकता कि मुझे इन शब्दों के बारे में मालूम है ।आपको मेरा यह अधिकार छीनने का कोई अधिकार नहीं ।”
” भगवान के लिए कृपया यहां राजनीति मत कीजिये। अन्य किसी को प्रश्न पूछने का अवसर दीजिए ।”
कटघरे में बैठे मुजरिम ने उन्हें टालते हुए कहा ।
अदालत में जज की कुर्सी पर बैठे जज ने उन्हें शांत कराने का प्रयास किया।
वे आज प्रश्न पूछने वालों में से थे। दर्शक दीर्घा में से थे ।
हमेशा की तरह प्रश्न पूछने वालों और दर्शक दीर्घा में बैठे लोगो की तरह वे भी शांत हो गए।
कुछ देर बैठे रहे फिर इधर उधर देखा और साथ बैठे अपने कुछ साथियों के साथ स्टूडियो से बाहर आ गए।
हनुमान मुक्त
Fotokart-India Ki shop soon launching A place for online shopping store for all local vendors
Pingback:Deepawali-दीपावली दिवाली दीपोत्सव Diwali 2020-Know the greatest festival of India - Baat Apne Desh Ki