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आर्टिस्ट संजय तांडेकर : सौंदर्य का अनुपम चितेरा

सौंदर्य एक भावना है, जिसकी अभिव्यक्ति हमारे जीवन में अलग-अलग रूप में होती रहती है। एक चित्रकार अपने रंगों से अपने मन के सौंदर्य को अभिव्यक्त करता है और दर्शकों के मन पर अपनी छाप छोड़ देता है। आज हम एक ऐसे ही चित्रकार की बात करेंगे जिनकी कलाकृतियों में श्रृंगार रस की प्रधानता है। सासरा गांव, भंडारा , महाराष्ट्र में जन्मे संजय तांडेकर आज चित्रकला के क्षेत्र में बड़ी ही कुशलता से सक्रिय होकर कार्य कर रहे हैं और हजारों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

संजय तांडेकर : सौंदर्य का अनुपम चितेरा
संजय तांडेकर जीवन की चित्रकला के क्षेत्र में सक्रिय होकर कार्य कर रहे हैं। हर कठिनाई को मात देते हुए आगे बढ़ते जाने वाले संजय हज़ारों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

संजय तांडेकर का बचपन आर्थिक संकट में बीता, परंतु इनकी लगन और मेहनत इन्हें आगे बढ़ने से ना रोक पाई। फाइन आर्ट विभाग , नागपुर विश्वविद्यालय से इन्होंने मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स की डिग्री प्राप्त की। अपने अध्ययन के प्रथम वर्ष से ही संजय तांडेकर क्लास के बाद पार्ट टाइम जॉब भी करते थे जहां इन्हें चित्रकारी करनी होती थी, इसका इन्हें बड़ा बड़ा लाभ मिला। इनकी कलाकृतियां इससे उत्कृष्ट होती चली गईं। संजय तांडेकर का स्वभाव अत्यंत सहज और सरल है और उनकी कलाकृतियों में उनका स्वभाव प्रतिबिंबित होता है।संजय बड़ी ही ईमानदारी से बताते हैं कि ‘आज उनके पास काफी काम व प्रशंसक हैं और लोग उन्हें सम्मान और प्रेरणा की दृष्टि से देखते हैं परंतु एक समय ऐसा था जब रास्ते बड़े कठिन थे। अध्ययन के बाद शुरुआती दिनों में कॉलेज में भी 2 वर्षों तक लेक्चररशिप की परंतु ऐसा लगा कि कहीं ना कहीं अपने चित्रण को समय नहीं दे पा रहा हूं इसलिए वहां नौकरी छोड़ दी और पूरी तल्लीनता से रंगों की दुनिया में तल्लीन हो गया।’संजय तांडेकर वर्तमान में एक्रेलिक माध्यम में ही चित्रण कार्य कर रहे हैं, इसके साथ ही तंजौर पेंटिंग की भी इन्हें गहरी समझ है और साथ में उसे भी करते हैं।


कैनवास पर मुस्कुरा रही संजय तांडेकर की कलाकृतियों में मानव एवं प्रकृति का सुंदर समन्वय हैं। उनके चित्रों में मोर व फूल अपनी अहम भूमिका में होते हैं। अलंकरण की दृष्टि से यदि देखा जाए तो यह अत्यंत उत्कृष्ट हैं। कैनवास पर रंगों एवम आकृतियों का संयोजन एक चित्रकार के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण होता है परंतु संजय की कलाकृतियों में यह बहुत सधे हुए दिखलाई पड़ते हैं।

चित्र 1.इनके चित्र दर्शक को बड़ी सहजता से आकर्षित कर लेते हैं। इस चित्र को बड़ी ही बारीकी से बनाया गया है। इसमें चटख रंगो का प्रयोग तो हुआ है, परंतु यह कहीं से भी आंखों में चुभ नहीं रहे हैं। युगल मोर के प्रेम के साथ-साथ एक स्त्री व पुरुष के प्रेम को भी बड़े ही सुंदर रूप में चित्रित किया गया है। परिप्रेक्ष्य में कमल के फूल इस पेंटिंग को पूर्णता प्रदान कर रहे हैं।

चित्र 2
इस पेंटिंग के रंग बहुत ही कोमल हैं तथा नीले एवम पीले रंगों का बड़ा ही सुंदर मेल है। मोर के साथ मग्न स्त्री का चित्रण बड़ी सजीवता से किया गया है। प्रकृति सौंदर्य का प्रभाव संजय तांडेकर के मन पर बचपन से ही पड़ा है जिसका प्रभाव इनके चित्रों में दिखलायी पड़ता है। इनके पेंटिंग्स के पात्र हमेशा मुस्कुराते हुए होते हैं जिनका उपयोग सजावट के लिए हर कोई करना चाहता है। इनके रंगों को लगाने की तकनीक कमाल की है क्योंकि इन कलाकृतियों में हर रंग का महत्व और उनकी विशेषता को देखा जा सकता है।

चित्र 3
श्रीकृष्ण को श्रृंगार रस का देवता माना जाता है। इस चित्र में मोर का अंकन चित्रकार ने बड़ी कुशलता से किया है। मोर के पंख में श्रीकृष्ण व गोपियों का चित्रण है। परिप्रेक्ष्य में गांव का अंकन है जो संभवत नंद गांव है। इस चित्र में फूलों का अंकन भी बड़ी ही सुंदरता से किया गया है । इसमें अलग-अलग रंगों का प्रयोग होते हुए भी नीले रंग की आभा है जो दर्शकों को सौंदर्य और सुकून का अहसास कराती है। संजय तांडेकर के चित्रों की रंग योजना दर्शकों को हमेशा से ही लुभाती रही है। उनके चित्रों की अपनी एक शैली है जिसे दर्शक दूर से ही देख कर के पहचान जाता है । यह चित्र हमेशा ही दर्शकों को लुभाते रहे और उनके जीवन में सौंदर्य बढ़ते रहें यही कामना है।

लेखक –मिठाई लाल युवा चित्रकार एवं शोधार्थी

fotocons पर पाए कलाकार संजय द्वारा रचित अद्भुत पेंटिंग्स

Sanjaya Tanderkar Artist Artwork on Fotocons
Sanjaya Tanderkar Artist Artwork on Fotocons

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