रूस से भारत में प्रवास पर आती गुलाबी मैना रोजी स्टर्लिंग का नाजिम तालाब पर भी इस वर्ष हुआ है प्रवास
इस पक्षी को हिंदी में गुलाबी मैना या तिल्यार के नाम से जाना जाता है कन्नड़ में इसे मधु सारिका कहते हैं यह एक प्रवासी पक्षी है जो अपने प्रवास के दौरान 6 से 8 माह तक भारत में रहते हैं
यह पक्षी मुख्यतः मैदानी क्षेत्रों में ही रहते हैं मैं नाजिम वाले तालाब पर नियमित रूप से इन पक्षियों के एक झुंड को प्रवास करते हुए देख रहा हूं यह तालाब के किनारे जो पाल का एरिया है वहां पर झाड़ियों पर अक्सर दिख जाते हैं यह भारत की सामान्यतः मिलने वाली माईना बैंक मैना और कॉमन मायना के साथ ही रहती है इस पक्षी का सिर छाती व पूछ काले रंग की होती है जिस पर नीले बैंगनी रंग की चमक होती है इसका पिछला हिस्सा छाती के नीचे का हिस्सा है पेट का रंग पीला गुलाबी होता है इसकी चोंच पीली तथा पंजे चमकीले गुलाबी रंग तथा आंख की पुतली भूरे रंग की होती है इसमें नर व मादा एक जैसे दिखते हैं लेकिन प्रजनन के समय नर पक्षी का रंग मादा की बजाय ज्यादा चमकदार होता है भारत में इनका प्रवास छह से आठ माह का होता है इस पक्षी का मुख्य भोजन पीपल बरगद लखन शहतूत आदि के फल तथा ग्रास हूपर टिड्डी आदि खेती को नुकसान पहुंचाने वाले पतंगों के लारवा होते हैं इस प्रकार से यह किसानों का एक मित्र ही साबित होता है यह एक सामाजिक प्राणी है जो एक बड़े समूह में प्रवास करते हैं समूह में ही भोजन लेते हैं तथा बसेरा करते हैं यह पक्षी समूह में ही प्रजनन के दौरान घोंसला बनाते हैं
यह पक्षी मुख्यतः कजाकिस्तान रूस में पाए जाते हैं जब इन क्षेत्रों में अत्याधिक सर्दी पड़ती है तो यह पक्षी बड़े समूह में भारत में प्रवास के लिए आते हैं सर्दियों में प्रवासी पक्षियों में यह पक्षी सबसे पहले आते हैं जब यह आसमान में उड़ कर आते हैं तो इनकी संख्या कभी-कभी इतनी ज्यादा होती है यह छोटे बादल की तरह दिखते हैं भारत में भी यह पक्षी जुलाई-अगस्त में आ जाते हैं और लगभग 6 से 8 माह तक भारत के घास के मैदानों या संताली क्षेत्रों में खेतों के आसपास पेड़ों पर रहते हैं किसानों का मित्र है यह इन पक्षियों के प्रजनन का समय मई से जून का होता है
यह पक्षी दक्षिणी पूर्वी यूरोप दक्षिण पूर्वी एशिया में ही प्रजनन करते हैं कुछ समय बाद यह दोबारा से प्रवास पर आ जाते हैं के दौरान यह पक्षी अपना घोंसला पत्थर की दरारों में नदियों के किनारों पर बने छेदा में बनाते हैं और सलाद आस्तीन कैसे बना कर इसमें अंदर मुलायम घास बिछाते हैं मादा तीन से 6 अंडे देती है कभी-कभी एक ही घोसला दो मादाएं भी अंडे देती है इन पक्षियों के घोंसले आम तौर पर उन क्षेत्रों में ज्यादा देखे जाते हैं जहां पर ग्रास हूपर टिड्डो की संख्या ज्यादा होती है ताकि चूजो के लिए भोजन आसानी से उपलब्ध हो सके यह पक्षी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले टीका सफाई कर देते हैं इस प्रकार से यही किसान मित्र पक्षी है
साथ में संलग्न छायांकन मेरे द्वारा नाजिम वाले तालाब के पास वाले एरिया से जनवरी और फरवरी माह में लिए गए हैं
फोटोग्राफर- डॉ मुकेश गर्ग
बर्ड एंड वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर
डायरेक्टर गर्ग हॉस्पिटल
फाउंडर CEO फोतोकार्ट
Location- Shyaroli Bhairav Dham Gangapur city
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Location of Nazim Bala Talaab bypass road Gangapur city 322201
Dr Mukesh Garg bird and wildlife photographer
Conservationist
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