When the season of Rituraaj (spring) comes, it is as if the whole nature of the world is in its full swing, enjoying and celebrating the youth. Suppose that the entire earth’s makeup is being done. Kavi has put these feelings in the poem and presented it to you.
ऋतुराज-(Rituraaj)
ऋतुराज सजने लगा ,पहन पुष्प का हार,
धरती ने श्रृंगार कर,योवन दीया वार,
योवन दीया वार,महकती आम की डाली,
भंवर करै गुञ्जार,गीत कोयलिया काली,
फसल खिल रही खेत,दीख रही है हरियाली,
पकने पर आ गयी,गेहुं अरु जौ की वाली,
“प्रेमी”पुष्पन कली,जो खिल जाये गी आज,
हुआ शीत का अंत,कि अव आ गया ऋतु राज।
Meaning in English
Rituraaj
spring is making up wearing flower garland
Earth has adorned and on its full youth
fragrance of twigs of mango tree given the youth
Wind is blowing ,Cuckoo is singing
Field is full of crop ,greenry is all around
wheet and jo crop is full ripe
Premi is saying that flower buds now blooming
winter is going ,and it is the coming of Spring.
रचियता- महादेव प्रेमी
दोस्तों अगर आपको हमारी कविताएं कैसी लग रही है तो कृपया हमे कमेंट बॉक्स में अपने सुझावों से परिचित कराये
आप हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब करे जिस से की लेटेस्ट से लेटेस्ट देश और देश के लोगो को बात आप को सीधे आपकी मेल आई डी पर मिल सके
Pingback:Patang (kite) पतंग Hindi poem by Mahadev Premi - Baat Apne Desh Ki