PMT and MBBS days
PMT का रिज़ल्ट आया । राजस्थान में 10th rank आने के बाद भी मैं बहुत खुश नहीं था ( कारण मुझे भी पता नहीं था ! शायद मैं ऐसा ही हूँ ) । घर वालों की ख़ुशी सातवें आसमाँ पर थी । विशेषकर पापाजी की । उनका यही सपना था जिसके लिए उन्होंने अपनी खुद की ख़ुशियों और आराम को तिलांजलि दे दी थी | जब भी थकता था या लापरवाही करता था या कोई ग़लत काम करने का सोचता था तो वही सामने आता था कि पापाजी क्या क्या करते है मुझे Doctor बनाने के लिए । मुझे अभी भी अच्छे तरीक़े से याद है जब मैं कोटा रहता था तो खाना खुद बनाता था । तो पापाजी को टेम्पो ने 2-3 kilometer पहले ही उतार दिया था ।गेहूं का कट्टा अपने सिर पर रखकर लाए ।वो खुद एक एक रुपैया बचाने की कोशिश करते थे पर कभी मुझे पढ़ाई और खाने पीने के लिए पैसे के लिए मना नहीं किया । इतनी बादाम तो अब भी नहीं खाता जितनी पापाजी मम्मी परीक्षा के समय मुझे पीस कर खिला देते थे ।अब हम पहुँच गए dream place of a medico – SMS medical college , Jaipur . बुलंद आवाज़ , सीना ताने इधर उधर 2-4 दिन घूमे , कमरा लिया टोंक फाटक पर ( क्योंकि हॉस्टल allowed नहीं था , और कुछ जानकार लोगों ने बोला कि ऐसी जगह कमरा लेना जहां 4/5 km तक कोई senior नहीं रहता हो )। अब शुरू होता है असली परीक्षा ( मानसिक और शारीरिक ) का दौर । एक गाइड लाइन हमारे पास आ चुकी थी । हमारा नया नाम था “ मच्छर “ . हमारा ड्रेस कोड – सफ़ेद शर्ट सफ़ेद पेंट , लाल टाई , लाल मोज़े , ब्लैक shoes . पहन कर एक बार तो लगा कि admission कहीं बैंड बाजा बजाने के लिए हुआ है । हम घर से normal कपड़े पहन कर टोंक फाटक से 8-10 लोग बस में चढ़ते , बस वाले को मेडिको बोलकर किराया नहीं देना , रौब ज़माना । और फिर sms hospital ke पास सब इकट्ठे होकर , नेपाली मार्केट में अपने कपड़े बदलकर , क़दमताल के साथ सब एक लाइन में मच्छर gate की तरफ़ कदम बढ़ाते थे । देवलोक से फूलों की बारिश शायद होती होगी इतने अनुशासित medicos को देखकर । मच्छर gate पर कोई ना कोई senior खड़ा होता था , हमारी गर्दन ज़मीन में धंसी हुई , एक हाथ पीछे ( पता नहीं अंगूठा कहाँ होता था ) , दूसरे हाथ की तीन अंगुलियाँ salute करती हुई पूरा 90degree कमर को झुकाते हुए college में enter करना ,इस बीच पता ही नहीं गालों पर कितने तमाचों की बारिश हो जाती थी । फिर अंदर प्रवेश करने के बाद मुर्दों ( dissection हॉल में ) से सामना होता था । फिर वो अंग्रेज़ी की पढ़ाई और anatomy के lecture – पहले तीन महीने तो पता ही नहीं चला , हो क्या हो रहा है ?College से निकलते ही फिर gate पर ज़िन्दा मुर्दे (उस समय तो खूब गालियाँ देते थे , पर 6 महीने के बाद सब senior सबसे प्यारे और जिगरी हो जाते थे ) खड़े मिल जाते थे । फिर sms की निर्माणाधीन नए कैम्पस के basement में ले जाते , मुर्ग़ा बनाते और फिर जाने कितनी लातें ??? और फिर सात दिन का classes से बंक । और जहाँ रहता था वहाँ English toilet भी नहीं थी । बैठा भी नहीं जाता था । पर जैसे तैसे समय निकला ।हॉस्टल की भी बहुत अच्छी यादें है । आप सभी medicos को ये सब पढ़कर कुछ यादें ताज़ा हो जाएगी ।
Dr Buddhi Prakash BP
Nostalgia of college days. A fabulous read