डॉ मुकेश 'असीमित'
Jun 7, 2024
व्यंग रचनाएं
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चैम्बर में अपनी एकमात्र कुर्सी पर धंसा ही था कि एक धीमी आवाज आई, “में आई कम इन सर ?” नजरें उठाकर देखा तो आगन्तुक मेरे सर के ऊपर खड़ा मुझसे अंदर आने की अनुमति मांग रहा था। शक्ल से दीन-दुखी सा, घबराया हुआ, जर्द चेहरा, आंखों में उदासी और शरीर थोड़ा सा कांप रहा […]
डॉ मुकेश 'असीमित'
Jun 6, 2024
व्यंग रचनाएं
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हे प्रजातंत्र के प्रहरीगण, लोक तंत्र के इस विशाल नाटक का पटाक्षेप हो गया है. नाटक जहाँ झूठे वायदों की दुंदभी के आगे सच्चे संकल्प और भाव की तूती की आवाज दब के रह गयी थी.ये लोकतंत्र का आइना है, आपको चेहरा वो ही दिखाया जाता है जो आप देखना पसंद करते हैं. जाहिर है […]
डॉ मुकेश 'असीमित'
Jun 4, 2024
व्यंग रचनाएं
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नेताजी पिछले पांच साल में जब से विधायक की कुर्सी हथियाई है, तब से प्रकृति प्रेम दिखाने के जो भी तरीके हो सकते हैं वो सभी अपनाए हैं। बंजर पड़ी चरवाहे की भूमियों को अपने अधिग्रहण करके उनमे एक आलिशान फार्म हाउस बनवाया है . उसमें पाताल तोड़ सबमर्सिबल लगाकर उसके मीठे पानी से विदेशी […]
Dr Rajshekhar Yadav
Jun 4, 2024
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भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था दशकों से संकट में है—झुग्गियों की भीड़, बजट की कमी, सरकारी अस्पतालों की बदहाली और महामारी में हर साल सैंकड़ों मौतें। फिर भी दोषारोपण डॉक्टरों और निजी अस्पतालों पर होता है, जिन्होंने बिना सुरक्षा और संसाधनों के अपनी सेवाएं दीं।
डॉ मुकेश 'असीमित'
Jun 4, 2024
व्यंग रचनाएं
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शास्त्रीय संगीतकार च्यवनप्राश के विज्ञापन में नजर आ रहे हैं, कला का भी बाजार लग गया है। जब कला का मूल्य लग सकता है, तो कलाकार का क्यों नहीं? कला ,संस्कृति जहा देखने सुनने महसूस करने और अपने रूह को उन्नत करने के लिए थी,अब सिर्फ प्रदर्शन की वस्तु हो गयी है.तालियाँ कला के प्रदर्शन […]
डॉ मुकेश 'असीमित'
Jun 3, 2024
व्यंग रचनाएं
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एक लेखक के लिए क्या चाहिए? खुद का निठल्लापन, उल-जलूल खुराफाती दिमाग, डेस्कटॉप और कीबोर्ड का जुगाड़, और रचनाओं को झेलने वाले दो-चार पाठकगण। कुछ जानकार प्रकाशकों से भी जुगाड़ बिठा ही लिया है, बस अब तो विषय चाहिए, जिस पर लिखना है ।कुल मिलकर शतरंज की बिसात तो बिछा ली लेकिन मोहरे अभी गायब […]
डॉ मुकेश 'असीमित'
Jun 2, 2024
व्यंग रचनाएं
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हे! छाती पर मूंग दलने वाली हिरद्येशा प्राणप्रिये , पड़ोस के शर्मा जी को ही देख लो, कैसे गर्मी और सर्दी की छुट्टियां आते ही उनकी बीवी उन्हें छोड़कर मायके चली जाती है। उनके चेहरे की प्रसन्नता देख कर मुझे कुढ़न होती है। सुबह मेरा मॉर्निंग वॉक जाना दुर्लभ हो गया है। पड़ोसी ताने मारते […]
डॉ मुकेश 'असीमित'
Jun 1, 2024
व्यंग रचनाएं
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.इनके कुछ प्रत्यक्ष लक्षण हैं जैसे अपना मुँह बुरा मानने की मुद्रा में टेढ़ा , भ्रकुटी तनी हुई,नाक के नथुने फूले हुए और फेंफडों की धोंकनी तेजी से अनुलोम विलोम करती नजर आती है । आप इनके इन प्र्त्यक्ष्य लक्षणों और इनकी ज्ञानेन्द्रियों से प्रवाहित पसीना,लानत भरे वाक्य ,आंसू,लार आदि से पहचान ही लेंगे की […]
डॉ मुकेश 'असीमित'
May 31, 2024
व्यंग रचनाएं
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अब तो प्यार भी 'चट मंगनी पट ब्याह' की तरह 'चट प्यार पट ब्रेकअप' हो गया है. प्यार, जहां पहले सत्यनारायण भगवान के प्रसाद की तरह हर किसी को नहीं लुटाया जाता था, अब तो प्यार की स्कूटि को चलाने के लिए एक मुर्ग़ा और दो चार स्टेफनी का काम मुस्तैदी से सम्भाले हुए प्यार के कीड़े चाहिए जो इस स्कूटी में पीछे लगे रहते है .
डॉ मुकेश 'असीमित'
May 30, 2024
व्यंग रचनाएं
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यह लेख गर्मी की तीव्रता और उसके व्यंग्यात्मक पहलुओं पर केंद्रित है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे व्हाट्सएप पर गलतफहमियाँ फैलाने वाले संदेश गर्मी की वास्तविकता से अलग होते हैं। एक राजनेता भाषण के दौरान खुद पर ठंडा पानी डालते हुए दिखाई देता है, जबकि जनता पसीने में तरबतर है। बिजली कटौती, गर्मी से जूझते लोग, और ट्रांसफार्मर को ठंडा करने के प्रयासों का वर्णन है। लेख में चुनावी गर्मी और वैश्विक तापमान वृद्धि के प्रभावों पर भी व्यंग्य किया गया है, जिसमें गर्मी के कारण होने वाली परेशानियों का जिक्र है।