Login    |    Register
Menu Close

भारत की पलायन करती अर्थव्यबस्था पर कविता

गर लौट सका तो जरूर लौटूंगा, तेरा शहर बसाने को।पर आज मत रोको मुझको, बस मुझे अब जाने दो।।मैं खुद जलता था तेरे कारखाने की……

राष्ट्र निर्माण हेतु आत्म अवलोकन-बदलता परिवेश भटकते युवा

राष्ट्र निर्माण हेतु आत्म अवलोकन-बदलता परिवेश भटकते युवा

राष्ट्र निर्माण में कहीं न कहीं हमें युवा पीढ़ी को सन्मार्ग की ओर लगाने के लिए आत्म अवलोकन करना जरूरी है ,और आत्म अवलोकन कर…

Corona crisis-How to avoid tension

कोरोना महामारी का मनोवैज्ञानिक असर, एक नये खतरे का आगाज

जिस तरह कोरोना महामारी एक विकराल रूप लेकर पूरे विश्ब को चुनोती दे रही है ,उस से पूरा मानव समाज में जो मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा…

Kya hume sada ke liye corona virus ke saath jeena hai

क्या हमे अब सदा के लिए coronavirus के साथ जीना है ?

जिस तरह से कोरोना खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है उस से तो शायद येही लगता है हमे अब इस कोरोना रुपी राक्षस…

world telecommunication day

World Telecommunication Day-17th May

World Telecom Day is celebrated on 17 th May all around the world. The significance of this day is special for India because connecting such…

mita kabhi koi hindi kavita

“मिटा कभी कोई ” हिंदी कविता महादेब “प्रेमी “द्वारा रचित

मेरी कविता “मिटा कभी कोई” व्यक्ति के सहस और विवेक की बात करती है की कैसे एक व्यक्ति सहस और विवेक से साधन हीन होते…

दाल बाटी चूरमा Daal baati Rajasthan speciality

जानिये दाल बाटी चूरमा का इतहास

आइये जानते हैं दाल बाटी चूरमा का अविष्कार क्यों, कहाँ, कब और कैसे हुआ :– आप अगर राजस्थान के निवासी है तो स्वाभाविक है इस……

world family day special

Corona crisis changed family traditions-Family Day special

In the Corona era, when the whole of humanity is going through a crisis, the importance of the family is becoming clear. In this period,…

गाँवों में दीखता हिंदी कविता

“गाँवो में दिखता” हिंदी कविता महादेव प्रेमी रचित

गाँवो में दिखता शीर्षक कविता गाँव के परिद्रश्य को दर्शाती ,आज भी गाँवो को शहरो से श्रेष्ठ होने का आभास कराती है. Share this:Click to…

पुस्तक बुझोबल को समर्पित कविता

बुझोबल पहेली संग्रह को समर्पित रचना मनीष “माना” द्वारा

सुप्र्शिद्ध कवी महादेव प्रेमी द्वारा संकलित एवं रचित प्रथम पुस्तक बुझोबल को समर्पित यह रचना Share this:Click to share on Twitter (Opens in new window)Click…