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A surreal, humorous conceptual artwork showing a giant cosmic exam hall floating in the sky. Instead of a godly figure, a glowing silhouette sits at a celestial desk stamping “EXAM DAY” on random clouds. Below, tiny paper-boats shaped like question papers rain down on confused little human figures running in different directions. Some people hide their papers under pillows, some compare question sheets, some climb ladders to peek into the sky. Color palette: deep blue, gold, white. Style: semi-abstract watercolor + soft digital strokes. No real faces—only symbolic silhouettes. Mood: whimsical, satirical, slightly philosophical.

भगवान परीक्षा ले रहा है-हास्य व्यंग्य

भगवान के पास और कोई काम नहीं? हर परेशानी पर लोग इतना ही कहते हैं—धैर्य रखो, भगवान परीक्षा ले रहे हैं…मानो ऊपर कोई परीक्षा बोर्ड…

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एक रंगीन, आधुनिक डिजिटल इलस्ट्रेशन जिसमें भारत का नक्शा हल्के, चमकदार कंटूर के रूप में बैकग्राउंड में दिखे। नक्शे के भीतर और चारों ओर अलग–अलग दिशाओं से आते युवाओं की सिल्हूट्स हों, जो हाथों में तिरंगा, पौधा (वृक्षारोपण का प्रतीक) और किताब लिए आगे बढ़ रहे हों। नीचे की ओर करमसद से निकलती एक चमकती हुई पथ-रेखा ऊपर की ओर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की स्टाइलाइज़्ड, मिनिमल रूपरेखा तक जाती हुई दिखाई दे। रंग संयोजन के रूप में केसरिया, हरा और नीला प्रमुख हों, जो ऊर्जा, विकास और एकता का एहसास दें। किसी भी व्यक्ति का चेहरा डिटेल में न हो, सिर्फ प्रतीकात्मक आकृतियाँ हों ताकि इमेज पूरी तरह एब्स्ट्रैक्ट और सार्वभौमिक लगे, और ऊपर हल्के अक्षरों में “Unity March • Sardar @150” जैसा टेक्स्ट आर्टवर्क का हिस्सा बन सके।

“सरदार @150 यूनिटी मार्च : युवा कदमों से गूँजता एक भारत, आत्मनिर्भर भारत”

“कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कोहिमा तक 779 जिलों में एक साथ उठते कदम, सरदार पटेल के सपने को फिर से जीवंत करेंगे—यह पदयात्रा…

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“एक अमूर्त चित्र जिसमें ध्यानमग्न मानव आकृति के भीतर से निकलती सुनहरी किरणें बाहरी ब्रह्मांड में विलीन हो रही हैं — जो आत्म से विश्व तक की चेतना यात्रा का प्रतीक हैं।”

आत्मबोध से विश्वबोध तक — चेतना की वह यात्रा जो मनुष्य को ‘मैं’ से ‘हम’ बनाती है

“मनुष्य की सबसे लंबी यात्रा कोई भौगोलिक नहीं होती — वह भीतर जाती है। आत्मबोध से विश्वबोध तक की यह यात्रा ‘मैं’ से ‘हम’ बनने…

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“अमूर्त रेखाचित्र में एक उजली धरती के रूप में भारत, जिसके केंद्र से उठती है लाल और केसरिया रंगों की श्वास-जैसी लहर — जो ‘वंदे मातरम्’ के स्वर का प्रतीक है।”

स्वाभिमान का स्वर: 150 वर्ष वंदे मातरम्

“वंदे मातरम् केवल दो शब्द नहीं, एक दीर्घ श्वास है जो इस उपमहाद्वीप की नसों में आज भी बहती है। डेढ़ सदी बाद भी यह…

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