बिना गंध सब सून। प्राणी जीवन में गंध का विलक्षण महत्व होता है जिसके प्रति हम अनजाने रहते हैं। जिस व्यक्ति के नाक में स्थित घ्राण इन्द्रियां चोट से नष्ट होगई हों उससे जानिए ‘‘जीवन सर्वथा शुष्क, स्वाद हीन, सार हीन और रस हीन होगया है।’’ कोरोना संक्रमण में अल्प काल के लिए ही जब ऐसा होता है व्यक्ति कैसा छटपटाता है।
कोई जीव या प्राणी अपने से बाहरी जगत से संपर्क और संवाद किये बिना जीवित नहीं रह सकता। प्रकृति से संपर्क–संवाद अपना अस्तिव बनाये रखने के लिए, और प्रजाति से संवाद जीव की प्रजाति को शाश्वत बनाये रखने के लिए आवश्यक है। जीव के विकास क्रम में संवेदक कोशिकाऐं संग्रहित हो कर ज्ञानेन्द्रियों का निर्माण करती हैं। पांच ज्ञानेन्द्रियां पांच संवेदनाऐं – स्पर्श, गंध, स्वाद, श्रवण और दृष्टि। संपर्क का माध्यम भौतिक यथा ध्वनि, प्रकाश व स्पर्श, और रासायनिक, यथा हवा में घुलनशील वोलेटाइल ऑर्गनिक रसायन और तरल में धुलनशील रसायन। संवेदना का बोध और प्रतिक्रिया ही संवाद है। अमूमन इसे चेतना के स्तर पर ही जाना जाता हैं। अवचेतन में संवाद आज शोध का विषय है, उन्नत तकनीक से इसे जाना, परखा और उजागर किया जा रहा है।
एक नर कीट जो इतना दूर है कि न व उस मादा कीट को देख सकता है न उसकी आवाज सुन सकता है उसे कैसे भान होता है कि उसकी ही प्रजाति की एक मादा कीट यौन प्रवृत है और वह उसकी और बढा चला आता है? मादा कीट कैसे यह संपर्क साधती है? कैसे होता है यह यौन संपर्क और संवाद? यह फेरोमान के माध्यम से होता है। ये बड़े शक्तिसाली उड़नशील गंध रसायन हार्मोन होते हैं।
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गंध रसायन – फेरोमोनः शरीर के बाहर स्रावित हार्मोन जिनकी गंध उस प्राणी की प्रजाती के अन्य प्राणियों में प्रतिक्रिया स्वरूप एक विशिष्ट प्रकार का सामाजिक आचरण और व्यवहार करने को प्रेरित करते हैं, फेरोमोन कहलाते हैं। ये रासायन अणु होते हैं जो स्रावित हो कर गंध के द्वारा उस प्रजाति विशेष के प्राणियों को उद्वेलित करते हैं। ये सूचक हार्मोन होते हैं जो अपनी प्रजाति के प्राणियों को विशिष्ट सूचना देते हैं और सूचना अनुरूप व्यवहार करने को उद्वेलित और मजबूर करते हैं। पहली बार इसे रेशम कीट में पहचाना गया था। नर रेशम कीट कैसे मादा कीट की ओर समागम करने को उड़ता हुआ चला आता है, यह वैज्ञानिको के कातुहल, जिज्ञासा और शोध का विषय था। कैसे मीलों दूर बैठे नर कीट को मादा कीट का भान हो जाता है? भान ही नहीं वह कैसे जान पाता है कि यह एक मादा कीट का प्रेम प्रस्ताव है, प्रणय निवेदन है? प्रयोगों से यह साफ था कि यह देख या सुन कर नहीं है। तो यह गंध के माध्यम से ही हो सकता है। गंध का मतलब था कि मादा कीट ऐसा कोई रसायान हवा में छोड़ती है जिसे सूंघ कर नर कीट उस और आकर्षित होता है। रसायन की गंध का अनुसरण कर नर मादा तक पहुंचता है। कीट द्वारा स्रावित ऐसा केमिकल अति सूक्ष्म मात्रा में ही हो सकता था। शूक्ष्म किन्तु इतना शक्तिशाली कि इसके अणु उड़ कर मीलो दूर पहुंच जायं। विशिष्ट इतना कि हवा में घुले अन्य लाखों अणुओं में से भी अलग पहचाना जा सके। विलक्षण इतना कि इसे प्रेम पाती की तरह बांचा जा सके। 50000 मादा सिल्क वॉर्म की गंरथियों से पहचान लायक मात्रा में इसे इकट्ठा किया जसका। जर्मन वैज्ञानिक एडोल्फ ब्यूटेनेन्ड्ट को बीस साल लगे इसे प्रथक और परिष्कृत कर पहचान ने में। इसे कीट के नाम के अनुरूप बोम्बीकोल नाम से चिन्हित किया गया। इसे शीघ्र ही सिन्थेसाइज भी किया गया। शुद्ध बोम्बीकोल की एक बून्द के हजारेवे भाग को कहीं भी छोड दो प्रेम आसक्त नर रेशम कीट वहां चले आयेंगे।
एक कीट या प्राणी द्वारा स्रावित या विसर्जित केमिकल फेरोमोन उसी प्रजाति के दूसरे सदस्य के पास गंध के रूप में पहुंचता है। नाक में स्थित वोमरोनेजल नामक ज्ञानेन्द्रि इन संवेगों को ग्रहण कर संवेदना को मस्तिष्क के ओलफेक्टरी लोब में भेजता है। गंध संवेदना में निहित सूचना का यहां विस्तृत विश्लेषण लिम्बिक लोब में होता है। निस्कर्ष अनुरूप प्रतिक्रिया में हॉर्मोन और साइटोकाइन द्वारा शरीर की आंतरिक फिजियोलाजी और प्राणी का आचरण प्रभावित होता है। अवचेतन संवाद से उद्वेलित सामाजिक आचरण। संवाहक होते हैं फेरोमोन।
जैविक संसार में विभिन्न फेरोमोन अपनी प्रजाति के अन्य जीव में एक निश्चित आचरण आहूत करने को स्रावित किए जाते हैं। अलग अलग संवाद के लिए विशिष्ट फेरोमोन संवाद वाहक फेरोमोन। यथा–
एग्रागेशन या एकत्रिकरण फेरोमोनः ऐसा फेरोमोन जो कीट द्वारा अपनी प्रजाती के नर और मादा कीटों को स्थान विशेष पर एकत्रित करने को छोड़ा जाता है। फेरोमोन स्रावित करने के पीछे उद्दश्य होता है साथी चयन में अधिक स्वतंत्रता और विविधता। यह चयन के लिए सामुहिक विवाह आयोजन जैसा होता है या स्वयंवर जैसा।
अलार्मा फेरोमान या चेताने वाल फरोमोनः चींटी, मधुमख्खी और दीमक जेसे समूह मे रहने वाले कीट में अगर किसी एक पर दुश्मन आक्रमण करता है तो वह कीट एक अलार्म फेरोमेन स्रावित करता है जिस से सारे साथी कीट सामुहिक रूप से दुश्मन पर टूट पड़ते हैं।
रिलिजर या सम्मोहक फेरोमोनः यौनप्रवृत मादा कीट द्वारा स्रावित यह एक तीर्व गति वाला शक्तिसाली फेरोमोन होता है जो मीलों दूर स्थित नर कीट को आकर्षित सम्मोहित करता है। प्रणय निवेदन, प्रेम पाती।
टेरीटोरियल अधिकार क्षेत्र फेरोमोन। आपने कुत्ते को टांग उठा कर पेशाब करते देखा होगा। अपने क्षेत्र में पेशाब कर वे इसे अपना अधिकार क्षेत्र घोसित करते हैं।
ट्रेल या पथप्रदर्शक फेरोमोन। चीनी के दाने फर्श पर गिरे और बिल से निकल कर शीघ्र ही चींटी वहां पहुंच गई। चींटीं जिस रास्ते चलती है उस रास्ते पर सूचांक फेरोमोन छोड़ती जाती है। उसी का अनुसरण कर वह अपने बिल में लौटती है, साथियों का पथप्रदर्शन करती है।
महारानी फेरोमोन। महारानी मधुमक्खी एक फेरोमान स्रावित करती है जिसके वषीभूत सभी सेवक मधुमक्खियां केवल उसी महारानी की सेवारत रहती हैं, दूसरी किसी माहरानी के लिए घर नहीं बनाती।
मानव फेरोमोनः डॉ.विलफ्रेड कटलर ने 1975 से सतत अघ्ययन और अनुसंधान कर 1986 में सर्वप्रथम मानव शरीर में इनकी उपस्थिति चिन्हित कर मान्यता प्राप्त जर्नल में रिपोर्ट की। उन्होने पुरूष और महिलाओं की कांख (आर्मपिट – बगल) में स्रावित श्वेद को विधिवत एकत्रित कर, उनका घोल बनाया और ठन्ड से जमा कर रख दिया। अगले साल उसे पिघला कर उन्हे स्वेइच्छा से भाग लेने वालां के ऊपरी ओठ पर नाक के नीचे लगा कर अलग अलग समूह (कंट्रोल और टैस्ट ग्रुप) मे डबल ब्लाइन्ड विधि से असर का आंकलन किया। निम्न निस्कर्ष निकले–
1. महिलाओं में स्रावित फेरोमोन से एक साथ रहने वाली महिलाओं मे ऋतचक्र समय और अवधि एक जैसी हो जाती है।
2. जिनमें ऋंतुचक्र नियमित नहीं थे उनमे नियमित हो गए।
3. महिला में पुरुष से निकट व नियमित सानिघ्य, सहवास व समागम, ऋतुचक्र में नियमितता, सम्बन्धित व्याधियों में कमी और मीनोपाज –रजोनिवृति में देरी और सुगमता । आज ये फेरोमोन यौन आकर्षक सैन्ट व स्प्रे के रूप बाजार में बिक रहे हैं।
भारत के मेडिकल छात्रों में एक व्यापक मजाक प्रचिलित है। छात्र अपना हाथ ऊपर कर अपनी बगल में फूंक मार कर छात्राओं की और छोड़ता है। आशय कि उससे प्रभावित बायोकम्पेटेबल सहपाठनी उसकी और आकर्षित होगी। जोड़े बनते भी हैं।
डॉ. कटलर की रिपोर्ट के बाद मानव फेरोमोन चिन्हित करने का काम काफी आगे बढा है। आंसूओं में फेरोमान चिन्हित किए गए हैं – खुशी और गम के आंसुओं में अलग। सलाइवा (लार) व शरीर के अन्य स्रावों में भी फेरोमोन चिन्हित किए जा रहे हैं। मानव शरीर से स्रावित फेरोमोन संभवतः एक फेरोमोन न होकर फेरोमोनों का कॉक्टेल या मिश्रण है जो व्यक्ति विशेष का फेरोमोन कोड होता है। पुलिस अपराधी के कपड़े जूते या अन्य वस्तु जिसके संपर्क मे अपराधी आया हो को खोजी कुत्ते को सुंघा कर अपराधी को खोजती है। कुत्तों में घ्राण शक्ति विलक्षण होती है। अरबों खरबों ऐसे फेरोमोन में से किसी एक को पहचान ने की क्षमता उसमें होती है।
नवजात शिशु अपनी मां को उसकी स्तन ग्रंथियों से स्रावित गंध फेरोमोन से पहचानता है।
अधिकांश फेरोमोन की अनुभूति और प्रतिक्रिया अवचेतन मस्तिष्क में होती है, आवश्यक नहीं कि गंध के रूप में उनकी अनुभूति चेतना में हो। इसी कारण प्राणी इनसे अनजान रहता है।
डॉ. श्रीगोपाल काबरा
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