“कुण्डली”
6चरण।
“अखवार”
अखवार प्रात ही घरपर,ले आता समचार,
हिंसा चोरी लूट हो,होवे अत्याचार।
होवे अत्याचार,सुसाइड वलत्कार हो।
खूव फजीती होय,जो नेता भृष्टखोर हो,
राजनीति की चाल,से काम करे सरकार,
देश विदेशी खवर,सव छाप रहे अखवार।
“कुण्डली” 6चरण “अखवार”-रचियता -महादेव “प्रेमी”-Newspaper Reading Poem
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