एक नाजुक सी बेल जिस सहारे ऊंचाईयां छूती है
वो मजबूत सहारा पापा आप ही है
जिस पोषक धरातल के कारण वो फलती फूलती है
वो मेरा धरातल भी मेरे पापा आप ही है।
मेरे सपने को आपने अपनी आंखों में बसाया
और उन्हें पूरा करने के लिए खूब पसीना बहाया
जीवन की पथरीली डगर पर उंगली थामे मेरी
हर ऊंचे – नीचे रास्तों पर चलना सिखाया।
जब भी जरूरत के समय मैंने मुड़ कर देखा
तो आपको हमेशा अपने पीछे पाया
जो आत्मविश्वास भरा है आज मेरे जेहन में
उसका संबल भी मेरे पापा आप ही है।
जब बीमार होती थी और रात में जब भी सोती थी
तो जब भी आंख खुली सिरहाने आपको पाया
मेरी हर गलती पर आपने मुझे बडे प्यार से समझाया।
मेरे बचपन में ही मेरे व्यक्तित्व की जड़ें फली फूली
तब ही मेरा आसमां आज मैंने पाया
मेरी ऊंची उड़ान के कारण जो मेरे पंख है
उन पंखों की मजबूती मेरे पापा आप ही है।
तपती जेठ की दुपहरी में
बरगद की ठंडी छांव से मेरे पापा
हिचकोले लेती जीवन की लहरों पर
मजबूत काठ की नाव से मेरे पापा
दिल की अनेक ख्वाहिशों के बीच
एक अमिट भाव से मेरे पापा
आज मैं जहां जो कुछ भी हूं
उसका आधार भी मेरे पापा आप ही है।
सुनीता मृदुल
Very well written…..wonderfully expressed your emotions for your father
very well composed and emotion expressed in a beautiful way…happy fathers day to you