सभी शिवभक्तों को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर असीम शुभकामनाएँ। इस शुभ घड़ी में, मैं आपके समक्ष एक सहज रूप से रचित काव्य प्रस्तुति, जो महादेव के चरणों में समर्पित है, लेकर आया हूँ। आशा है, यह रचना आपके हृदय को स्पर्श करेगी।
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शिवरात्रि की पावन बेला ,एक दिव्य मधुर कथा ,
जहाँ शिव निवास करते हैं, वहाँ नहीं कोई व्यथा।
आदियोगी, महादेव, नीलकंठ विराजमान,
उनकी महिमा अपार, भक्तों का करते कल्याण ।
कैलाश पर्वत पर ध्यानस्थित शिव का अलौकिक वास,
सृष्टि के कण-कण में व्याप्त उनका दिव्य आभास।
त्रिशूल धारी, चंद्रमा शीश पे सजाये,
नंदी पर सवार, संसार के दुःख हरते आये।
गंगा जटा से बहती, उनके तप की गाथा कहती,
महादेव की महिमा, शिव शक्ति की प्रेम धारा बहती ।
वे अनंत, वे अजन्मा, वे आदि और अंत,
वे सृजन के साक्षी, वे समय का अविचल बसंत ।
विष पीकर विश्व को बचाया, सहर्ष धरा नीलकंठ नाम,
सृष्टि के हर कण में व्याप्त, उनका वह विराट रूप आयाम ।
महाशिवरात्रि की इस पवित्र रात्रि में, उनका ध्यान धरें,
उनकी भक्ति में लीन होकर, सच्चे मन से सुमिरन करे ।
जो शरण में आये, उन्हें वे कभी ना ठुकराये,
भक्तों की पुकार पर, शिव सदैव तत्पर आये।
शिव शंभू की महिमा, अनंत काल तक गूँजती रहे,
महादेव की कृपा से, संसार में प्रेम और शांति बहे।
महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर, मिलकर धरें ध्यान
शिव शंकर से ही संभव , विश्व का कल्याण हो।
ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय,
शिव की महिमा अपार, शिव ही सत्य, शिव ही सार।
रचनाकार -डॉ मुकेश गर्ग