:”हरियाली” (कुण्डली 8चरण)
है हरियाली चारों तरफ,ठंडी ठंडी छांव,
यादों में वसता सदा, मेरा प्यारा गांव,
मेरा प्यारा गांव,लगे सव से सुख दायीं,
चला जाऊं मैं गाँव,कभी मेरे मन आयी,
हरी दूव हरिघास,हरी हर फसल सुहाई,
नाचन लगे मयूर,पपीहा टेर लगाई,
“प्रेमी” कुहु कुहु करत, डाल कोयलिया काली,
श्रावन में चहुँ ओर,आय फैली हरियाली।
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