“हाथ पैर यदि पास”
कुण्डली 8चरण
हाथ पैर यदि पास हों,मांग कभी ना भीख,
साहस पंखों में जगा,नभ में उड़ना सीख,
उड़ना नभ में सीख,कभी झोली न पसारो,
कर्म कोइ भी करो,ताहि सो होय गुजारो,
हाथ पैर यदि साथ,देय तो मांग न जइहैं,
मांगन मरण समान, तु जीते जी नहिं मरिहैं,
“प्रेमी”मांग न कभी,भी जब तक तन की आस,
काम काज कुछ करौं,हैं हाथ पैर यदि पास
रचियता महादेव प्रेमी