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“घोटाला” हिंदी कविता महादेव प्रेमी रचित

घोटाला हिंदी कविता

घोटाला”
कुण्डली 6चरण

घोटाला जब कीजिये,सही समय को जान,
पकड सकें कोई नहीं,अपनों को पहचान,

अपनों को पहचान,कमीशन खोरी करिए,
मारो लम्बा हाथ, कि सपने पूरे करिये,

“प्रेमी”सफल मुराद,हाथ में चावी ताला,
सातों पीढ़ी तरै,भला हो हे घोटाला।

रचियता -महादेव प्रेमी “

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