दीपक मिट्टी का बना हो,
या सोने का,
रोशनी कितनी देता है,
सवाल है इस वात का,
कोई धनी हो या गरीव,
मुसीवत में कितना हो करीव,
महत्व है इस वात का,
फूलों से महक,
मेहनत भरी क्यारियों से ही आती है,
क्रतिम फूलों से तो केवल,
प्रदर्शनी ही लगाई जाती है।
Deepak-Hindi poem दीपक हिंदी कविता
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