“नित सुवह से शाम”
कुण्डली 8चरण
नित सुवह से श्याम तक,उछल कूद हुडदंग,
योवन तक धूमिल हुए,बचपन के सव रंग,
बचपन के रंग भूल,राह कुछ ऐसी पकड़ी,
तीन चीज रहि याद,नमक तेलहि अरु लकडी,
गिल्ली डंडा और,कबड्डी दौड रेल में,
चोर सिपाही खो कि,सु मस्ती बनी खेल में,
“प्रेमी”योवन साथ,हुए सव पारिवारिक काम,
धूमिल हुआ बचपन,खेला नित सुवह से शाम।
रचियता-महादेव प्रेमी