Login    |    Register
Menu Close

चोरी हिंदी कविता महादेव प्रेमी रचित

चोरी हिंदी कविता

“चोरी”
कुण्डली 6चरण

चोरी यद्यपि पाप है,चोरी है अपराध,
फिर भी चोरी कीजिये,अधिकारी को साध,

अधिकारी को साध,चलेगी रिस्वत खोरी,
विजलि पानी टैक्स,कीजिये जमकर चोरी,

“प्रेमी”कह ये काम,भरे नोटों से बोरी,
बना लीजिये संघ,साथ मिल करिये चोरी।

रचियता- महादेव प्रेमी

CANVAS AND PAPER PRINTS OF HANDMADE PAINTINGS
Ultra-premium museum quality with outstanding details

CANVAS AND PAPER PRINTS OF HANDMADE PAINTINGS Ultra premium museum quality with outstanding details
CANVAS AND PAPER PRINTS OF HANDMADE PAINTINGS
Ultra-premium museum quality with outstanding details

Leave a Reply