पांचवीं तक स्लेट की बत्ती को जीभ से चाटकर कैल्शियम की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी लेकिन इसमें पापबोध भी था कि कहीं विद्यामाता नाराज न हो जायें ।पढ़ाई का तनाव हमने पेन्सिल का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था “पुस्तक के बीच पौधे की पत्ती और मोरपंख रखने से हम होशियार हो जाएंगे ऐसा हमारा दृढ विश्वास था”।कपड़े के थैले में किताब कॉपियां जमाने का विन्यास हमारा रचनात्मक कौशल था ।हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते तब कॉपी किताबों पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का वार्षिक उत्सव थाएक दोस्त को साईकिल के डंडे पर और दूसरे को पीछे कैरियर पर बिठा हमने कितने रास्ते नापें हैं , यह अब याद नहीं बस कुछ धुंधली सी स्मृतियां हैं ।स्कूल में पिटते हुए और मुर्गा बनते हमारा ईगो हमें कभी परेशान नहीं करता था , दरअसल हम जानते ही नही थे कि ईगो होता क्या है ?पिटाई हमारे दैनिक जीवन की सहज सामान्य प्रक्रिया थी ,”पीटने वाला और पिटने वाला दोनो खुश थे” , पिटने वाला इसलिए कि कम पिटे , पीटने वाला इसलिए खुश कि हाथ साफ़ हुआ।हम अपने माता पिता को कभी नहीं बता पाए कि हम उन्हें कितना उन्हें स्नेह और उनका सम्मान करते हैं,क्योंकि हमें उनके सामने कुछ कहना नहीं आता था।आज हम गिरते – सम्भलते , संघर्ष करते दुनियां का हिस्सा बन चुके हैं , कुछ मंजिल पा गये हैं तो कुछ न जाने कहां खो गए हैं ।हम दुनिया में कहीं भी हों लेकिन यह सच है , हमे हकीकतों ने पाला है , हम सच की दुनियां में थे ।कपड़ों को सिलवटों से बचाए रखना और रिश्तों को औपचारिकता से बनाए रखना हमें कभी नहीं आया इस मामले में हम सदा मूर्ख ही रहे ।अपना अपना प्रारब्ध झेलते हुए हम आज भी ख्वाब बुन रहे हैं , शायद ख्वाब बुनना ही हमें जिन्दा रखे है, वरना जो जीवन हम जीकर आये हैं उसके सामने यह वर्तमान कुछ भी नहीं ।हम अच्छे थे या बुरे थे पर हम एक साथ थे, काश वो समय फिर लौट आए ।……”एक बार फिर अपने बचपन के पन्नो को पलटिये, सच में फिर से जी उठेंगे।
It was our permanent habit to lick the slate light from the tongue and fulfil the calcium deficiency, but it was also the guilt of sin that the Vidyamata should not get angry. Study stress we chewed the back of the pencil′′ It was our strong belief that we will be smart by keeping the leaves of the plant and peacock wings in the middle of the bookThe configuration of book copies in a cloth bag was our creative skills. Every year when new class bags were tied, it was an annual celebration of our life to offer copy books. One friend on the rod of bicycle and the other on the back of the carrier, I don’t remember how many ways I have measured, it’s just some blurry memories. Our ego never bothers us while being beaten and rooster in school, in fact, we didn’t know what ego was? The beating was a simple normal process of our daily life,′′ The beater and the beating both were happy ′′, Beater because less beaten, the beater is happy because his hand is clean. We could never tell our parents how much we love and respect them because we didn’t know how to say anything in front of them. Today we have become a part of the world while falling, struggling, some have reached the destination, some don’t know where they are lost. We may be anywhere in the world but it is true, we were raised by reality, we were in the world of truth. Protecting clothes from the syllabus and maintaining relationships formally, we never knew that we were always foolish. We are still weaving dreams while bearing our own prayers, perhaps weaving dreams has kept us alive, otherwise, the life we have lived is nothing in front of it. We were good or bad but we were together, I wish that time comes back…….”
Once again turn the pages of your childhood, you will really be alive again.
लेख~ डा बुद्धि प्रकाश शर्मा
Very well written. Old memories rejuvenated