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Author: डॉ मुकेश ‘असीमित’

लेखक का नाम: डॉ. मुकेश गर्ग निवास स्थान: गंगापुर सिटी, राजस्थान पिन कोड -३२२२०१ मेल आई डी -thefocusunlimited€@gmail.com पेशा: अस्थि एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ लेखन रुचि: कविताएं, संस्मरण, व्यंग्य और हास्य रचनाएं शीघ्र ही मेरी पहली पुस्तक “नरेंद्र मोदी का निर्माण: चायवाला से चौकीदार तक” प्रकाशित होने जा रही है।
गुजरा वक्त

गजल-गुजरा वक्त -डॉ मुकेश असीमित

वक़्त-ए-पीरी ये कैसी मुलाकातें , जैसे हों ख़्वाब-ओ-ग़ुज़िश्ता की बातें । चढ़ी जवानी में खो गया वो सफ़र, अब हैं दिल-ए-ख़राब की बातें । छेड़……

मूषक महाराज स्तुति

Mooshak Maharaaj Stuti -मूषक महाराज स्तुति

आज गणेश चतुर्थी के अवसर पर विध्नहर्ता गणेश जी की स्तुति तो सभी करते ही हैं,उनके वाहन मूषकराज की भी स्तुति अत्यावश्यक है ! एक……

Ganesh-vandna

गणेश वंदना-छंद रचना-डॉ मुकेश असीमित

गणेश वंदना करहूँ  स्तुति तोरे, श्री गणपति, दीन दुखी के नाथ।  दारुण  दूर करहुं, मंगलकारी, तुम हो दीनों के  साथ।।  विघ्न विनाशक नाम तुम्हारा, शुभ……

depicting the scene described in your content. This illustration captures various elements from a bustling Indian street, highlighting the humorous and exaggerated aspects of daily interactions and societal observations.

“मजे की राजनीति: भारतीय जीवन का मस्ती भरा दर्शन”

भारतीय आम आदमी की दुनिया एक ऐसी मस्तखोर रंगीन मिजाजी दुनिया है, जहां हर काम में मस्ती और मौज का तड़का लगना अनिवार्य है। हैप्पीनेस……

depicting the current educational era where children are losing their childhood in competition coaching classes. The image portrays a group of young students, overwhelmed with books and looking exhausted, in a cramped coaching class setting.

“कोचिंग की कक्षाओं में क़ैद कच्चे ख्वाब: आधुनिक शिक्षा का अक्स”

आजकल सोशल मीडिया पर रिजल्टों की मार्कशीटों की बरसात हो रही है, हर बच्चे के नब्बे प्रतिशत से कम अंक नहीं दिख रहे । माना……

landlord and a tenant in a heated argument over various issues with the house. The exaggerated expressions and chaotic background elements highlight the comical situation perfectly.

मकान मालिक की व्यथा –व्यंग रचना

किराए के लिए उन्हें फोन करता हूँ तो पता लगता है, वो बहुत दुखी हो गए हैं, उनकी सात पुश्तों में भी कभी किसी ने……

**पड़ोसियों को प्यार करो – व्यंग्य रचना**

बचपन से ही हिंदी और अंग्रेजी की लोकोक्तियाँ और मुहावरों को रटते आए हैं, लेकिन कभी उनके गूढ़ार्थ पर दिमाग नहीं लगाया। वैसे भी, तब……

young Indian doctor, wearing a white apron and a stethoscope around his neck, meeting with an overly enthusiastic pharmaceutical representative. The scene captures their amusing interaction in a simple doctor's office setting.

दवा प्रतिनिधि से मुलाकात –

चैम्बर में अपनी एकमात्र कुर्सी पर धंसा ही था कि एक धीमी आवाज आई, “में आई कम इन सर ?” नजरें उठाकर देखा तो आगन्तुक……

मेरा लोकतंत्र महान -व्यंग रचना

हे प्रजातंत्र के प्रहरीगण, लोक तंत्र के इस विशाल नाटक का पटाक्षेप हो गया है. नाटक जहाँ झूठे वायदों की दुंदभी के आगे सच्चे संकल्प……

irony of discussing environmental issues in comfortable settings while outside, the harsh realities of environmental degradation are evident. You can view and analyze the image to see how the two scenes are juxtaposed against each other, highlighting the disparity between them.

*नेताजी का पर्यावरण दिवस आयोजन *

नेताजी पिछले पांच साल में जब से विधायक की कुर्सी हथियाई है, तब से प्रकृति प्रेम दिखाने के जो भी तरीके हो सकते हैं वो……