आदिकाल से चिकित्सक, रोग और व्यधियों का व्याख्यात्मक स्पष्ठिकरण देने को सतत चेष्ठारत रहे हैं। रोग स्पष्ठिकरण की ऐसी परिकल्पना (थ्योरी) जिसे व्यापक मान्यता मिले।……
ह्यूमर हाइपोथीसिस – आंतरिक द्रव-विकार परिकल्पना। हिप्पोक्रेटस की आदि काल की शरीर के अंदर 4 द्रव की परिकल्पना को, पांच शताब्दि बाद, ग्रीक चिकित्सक गेलेन……
भ्रूण के सृजन काल में जब अंगों का विकास हो रहा होता है तब चयनित कोशिकाओं का अंग में समायोजन, और शेष का संथारा कर…
Dr S G Kabra has beautifully described the whole social science framework present in our each cell. हर नन्ही-सी, आँखों से न दिख ने वाली,…
ज्ञानेन्द्रियों, अंतेन्द्रियों और रसायेनेन्द्रियों से आये संवेगों की त्रिवेणी A beautiful Piece of work from Dr S G Kabra For blog,poems,content writing contact [email protected] Share…
मनसिक कमी के रहते हुए किसी विशेष क्षेत्र में कौशल या प्रतिभा कैसे संभव होती है इसके लिए अवधारणा है कि उनकी मानसिक प्रतिक्रिया विशिष्ट…
पढ़े डा एस जी kabra द्वारा लिखित शरीर की अद्भुत गुर्दा अंगो की कार्यप्रणाली ,जो की कैसे एक RO aquaguard की तरह रक्त की सत्…
प्राणियों के प्राण प्रणेता – प्राणनाथ – शुक्राणु ही होते हैं। पढ़िए रोचक तथ्यात्मक जानकारी शुक्रानुओ के बारे में लेख डा एस जी काबरा द्वारा…
क्या आप जानते हैं – – कि आपकी दो आँखें आपके मस्तिष्क के संचार संस्थान के दो दूरदरर्शन स्टूडियों है जिनमें (हर आँख में) 1……
कोई जीव या प्राणी अपने से बाहरी जगत से संपर्क और संवाद किये बिना जीवित नहीं रह सकता। प्रकृति से संपर्क-संवाद अपना अस्तिव बनाये रखने…