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क्या हम चीन के सामान के बहिष्कार के लिए प्रतिबद्ध है ?

Boycott Chinees Goods-Buy Indian

क्या आपके अंदर देशभक्ति की इतनी मात्रा है कि आप अपना मुनाफा कम करके और थोड़ा ज्यादा पैसा खर्च करके चीन को जवाब दे सकें? एडी सभी देशबासी यह सोच ले तो वः दिन दूर नहीं जब हम चीन जैसे देश को आर्थिक प्रतिबन्ध द्वारा कड़ा जबाब दे सके.

अब हम उस मुहिम की बात करेंगे जो मेड इन इंडिया को मजबूत बनाने के लिए बहुत जरूरी है. चीन के सामान का बहिष्कार कोई सस्ता सौदा नहीं महंगा सौदा साबित हो सकता है . लेकिन क्या आप इसके लिए तैयार हैं? क्या आपके अंदर देशभक्ति की इतनी मात्रा है कि आप अपना मुनाफा कम करके और थोड़ा ज्यादा पैसा खर्च करके चीन को जवाब दे सकें. आज हम ये समझाने की कोशिश करेंगे कि मेड इन चाइना को हराने के लिए और मेड इन इंडिया को मजबूत बनाने के लिए भारत के लोग कितने तैयार हैं. आज हम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और खिलौनों के बाजार को आधार बनाकर अगर इस पर विचार करे तो कुछ हद तक इसे समझ सकते है.

Boycott china products-Empower make in India

भारतीय में खिलौना बाजार लगभग 13 हजार करोड़ रुपये का है जिसमें लगभग 85 से 90 प्रतिशत खिलौने मेड इन चाइना होते हैं. इसके अलावा भारत में जो खिलौने बनते हैं, उनका कच्चा माल भी चीन से ही आता है.अब ऐसे में हमे देखना होगा की क्या हम अपनी और अपने परिवार में अपने किड्स में ये भावना विकसित नहीं करे की , नहीं हमे अगर खरीदने है तो सिर्फ और सिर्फ भारत में निर्मित खिलोने ही.

भारतीय बाजारों में LED बल्ब के व्यापार में चीन की कंपनियों का मार्केट शेयर 36 प्रतिशत है और भारतीय कंपनियां भी LED बल्ब्स को तैयार करने के लिए कच्चा माल चीन से ही मंगवाती हैं.

भारत के स्मार्टफोन बाजार में 65 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से पर चीन की कंपनियों का कब्जा है.इसी तरह स्मार्ट टीवी बाजार में चीन की कंपनियों की हिस्सेदारी करीब 35 प्रतिशत है.

ये कुछ सेक्टर है जहा चीन ने उपभोक्ता बाजार में अपा अधिपत्य जमा रखा है. और हमे अगर वास्तब में चीन के बाजार को सेटबैक देना है तो इन सेक्टर में देश के उपभोक्ताओं की डिमांड को शिफ्ट करना पड़ेगा.

Make In India – Success Story


इसके अलावा इलेक्ट्रॉलिक्स के बाजार की 45 प्रतिशत, गारमेंट्स में 27 प्रतिशत और ऑटो सेक्टर में 9 प्रतिशत जरूरतें चीन से पूरी होती हैं.

लेकिन अब देश के लोगों ने मेड इन चाइना सामान के खिलाफ स्वदेशी मुहिम छेड़ दी है. जिसका असर अब बाजारों में दिखने लगा है. ज़ी न्यूज़ ने चीन के सामान की डिमांड और सप्लाई में आई कमी से ये साफ़ नजर आता है की भारतीय उपभोक्ताओं ने अपनी भागीदारी निभाना शुरू कर दिया है. इसमें बहुत कुछ रोले सोशल मीडिया का है इसमें कोई शक नहीं. लोग अपने तरीके से देशभक्ति दिखाने का ये मौका गंवाना नहीं चाहते.

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1 Comment

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