अहसास की इस विस्तृत वादी में, जहाँ कण कण में सुकून का सागर छिपा है,वहाँ एक परिंदा,
अपने अस्तित्व की छाया में, स्वच्छंद उड़ान भरना चाहता है ।
क्षितिज की ओर ताकते हुए, उसके पंख स्वर्णिम रश्मि से आलोकित होते,
उसकी हर उड़ान में एक नया जुनून, हर लम्हा एक नई महक लिए होते।
पलकें जब बंद होती हैं, तो अहसास का यह संसार पता है अपना विस्तार ,
हर पल, एक कहानी कहता, हर साँस में भर जाता है एक नया रंग ।
इस अनंत विस्मय में, जहाँ हर अहसास एक परिभाषा से परे है ,
जहाँ सुकून की एक छाया, आत्मा को गहराई से छू जाती है, हो गयी है अधिक निश्चित और स्थिर।
ये अहसास की भाषा, जो कभी व्यक्त नहीं की जा सकती, केवल महसूस की जाती है,
जैसे परिंदा जो अपनी उड़ान में नये आकाश को छूने का जुनून रखता है,
तो कभी एक छाया बन, अपने अस्तित्व की गहराई में लौट जाता है।
इस जीवन के हर क्षण में, अहसास ही तो वह पल है जो वास्तविकता से भी महान है।
हर रश्मि जो क्षितिज से उदित होती, हर लम्हा जो जुनून की सोनी सुगंध लिए होती,
ये नहीं हैं केवल क्षणिक, बल्कि एक अनंत यात्रा के पथिक,जो अहसास के इस संसार में,
हर पलकें जब बंद होती,वे नये सुकून की ओर ले जाती, जहाँ हर अहसास एक नया आकाश बुनता है।
चेतना के विस्तृत नभ में, जहाँ स्मृतियों की सरिता बहती है,
सुकोमल नेह की धारा, जीवन की देह को सींचती, सार्थकता से लहराती है।
नभ की अलोकित विस्तारता में, जहाँ अहसासों के पंख फैलते हैं,
वहाँ हर श्वास में एक संगीत है, जो सूक्ष्मता से हृदय को छू जाते हैं।
स्मृतियों की इस पगडंडी पर, चेतना नए अर्थ तलाशती है,
जैसे नभ में विहार करते पक्षी, नई सुबह का संदेशा लाते हैं।
सुकोमल नेह का वह स्पर्श, जो देह और आत्मा को एक करता,
एक अदृश्य सूत्र में बंधा, जीवन की अनुभूति को संवारता।
जैसे नभ की अनंतता में, प्रत्येक तारा अपनी कहानी कहता,
उसी तरह हमारे अहसास, हमारे अस्तित्व को आलोकित करते हैं।
देह का हर कण, सुकोमल नेह से पोषित, जीवन के रहस्य को समझता,
जैसे विस्तृत नभ में बिखरी प्रकाश की रश्मियाँ, हमारे चारों ओर अहसास का संसार रचता।
इस विशाल नभ के नीचे, जहाँ स्मृतियाँ और चेतना एक दूसरे से मिलती हैं,
सुकोमल नेह और देह की गाथा, एक अद्वितीय संगीत बुनती हैं।
जीवन का प्रत्येक क्षण, इस अलोकित नभ के तले, एक अनूठा अहसास,
जहाँ हर चेतना, हर स्मृति, जीवन की सुकोमल नेह में संजोया गया विशाल व्रक्ष है।