आज का अभिमन्यु ??
डा राजशेखर यादव द्वारा लिखित लेख ,जो आज के युग के असली अभिमन्यु ,ये छोटे शहर के छोटे छोटे अस्पताल है ,जो सरकार के चक्र्वुह जाल में फंसकर अपनी अंतिम सांस ले रहे है. लेक बहुत ही प्रासंगिक और समस्या की गंभीरता को प्रदर्शित किये हुए है.
दुष्ट कौरवों ने युवा अभिमन्यु के वध के लिए सात चक्र का व्यूह रचा था।अभिमन्यु को उस चक्र व्यूह में प्रवेश करना तो आता था लेकिन निकलने का रास्ता वो नही जानता था।छटे चक्र के बाद कौरव सेना ने थके हुए अभिमन्यु को घेर लिया।उसके रथ के घोड़े मारे गए।तलवार टूट गई।रथ का पहिया लेकर अभिमन्यु दुश्मनों पर टूट पड़ा लेकिन अंत मे जयद्रथ ,दुर्योधन सहित छ महारथियों ने युद्ध के सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए उस निहत्थे वीर युवक की निर्ममता से हत्या कर दी और अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए।
हिंदुस्तान के किसी छोटे बड़े शहर के किसी छोटे से “अभिमन्यु अस्पताल” का हश्र भी महाभारत के अभिमन्यु की तरह होने वाला है। आज भी दुष्ट कौरवों ने “अभिमन्यु अस्पताल” को मारने के लिए सात चक्र वाले (कु)चक्रव्यूह की रचना की है।CEA, NABH, कैशलेस हेल्थ केअर ,PNDT एक्ट ,कॉन्सुमेर प्रोटेक्शन एक्ट ,पॉल्युशन कंट्रोल ,फायर एंड सेफ्टी उसके सात चक्र हैं। नासमझ जोशीला “अभिमन्यु अस्पताल” इस चक्र में खुद घुसता जा रहा है।पांच चक्र वो पार कर चुका है।आखिरी दो चक्रों में NABH और CEA हैं।वहाँ पहुंच कर जब युवा “अभिमन्यु अस्पताल” थका हुआ , शक्तिविहीन होगा तब कौरव सेना के दुष्ट महारथी उसका वध कर देंगे।
निस्संदेह नादान अभिमन्यु इस बार भी वीरगति को प्राप्त होगा।
महाभारत के अभिमन्यु को तो स्वयं योगेश्वर कृष्ण भी नही बचा पाए थे।अब तो न कोई कृष्ण है जो इस अभिमन्यु का बचाने की सोच भी सके और न कोई अर्जुन जो अभिमन्यु वध का बदला ले सके।
महाभारत के बाद हर युग मे अभिमन्यु ऐसे ही मारे जाते रहे हैं।
कभी स्वयं की नासमझी के कारण तो कभी कौरवों के कुचक्र के कारण।
आज के अभिमन्यू का मरना भी तय है।पटकथा लिखी जा चुकी है।अभिमन्यु चक्रव्यूह में प्रवेश कर चुका है।वापसी के द्वार बंद हैं।अंदर ” जयद्रथ” तलवार लेकर ,घात लगाकर बैठा है।
-डॉ राज शेखर यादव
फिजिशियन एंड ब्लॉगर