सोशल मीडिया की ताकत को नज़रन्दाज़ मत कीजिये??
कुछ दिन पहले भरतपुर के एक युवा डॉक्टर की एक दर्दनाक सड़क हादसे में मौत हुई थी। वो बेहद साधारण परिवार से थे। माता पिता ने कर्ज़ लेकर,घर ज़मीन बेचकर उन्हें डॉक्टर बनाया था।अब परिवार के अच्छे दिन आने ही वाले थे लेकिन नियति को ये मंज़ूर न था। दुर्भाग्य से युवा डॉक्टर रोहताश एक सड़क हादसे में चल बसे। राजस्थान के कुछ संवेदनशील डॉक्टर्स ने परिवार की आर्थिक स्थिति को सही -सही दर्शाती उनके घर की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया में साझा की।परिवार की आर्थिक स्थिति और उनपर हुए वज्रपात की कहानी ने राजस्थान के पूरे चिकित्सक समुदाय को विचलित कर दिया।परिवार की आर्थिक मदद का सिलसिला शुरू हुआ और 1 सप्ताह के भीतर राजस्थान के संवेदनशील चिकित्सकों ने अपने एक अनजान , अपरिचित दिवंगत युवा साथी के परिवार के लिए 70 लाख से भी अधिक रुपये जुटा लिए, एक ऐसे कठिन समय मे जब हर व्यक्ति कोरोना की मंदी से जूझ रहा था।
इस घटनाक्रम की सबसे अच्छी बात ये थी कि इसके लिए कोई संगठित प्रयास नही किये गए थे।बस परिवार का एकाउंट नंबर लोगों ने पढ़ा और सहयोग राशि जमा की ,बिना किसी वाहियात फ़ोटो सेशन और बेहूदा पब्लिसिटी के पूरी संजीदगी से ये काम सम्पन्न हुआ। राजस्थान के डॉक्टर्स की संवेदनशीलता और सौहार्द्र की जीती जागती मिसाल है ये घटना।
लेकिन ये सब सोशल मीडिया के बगैर बिल्कुल नही हो पाता।सोशल मीडिया पर वो तस्वीरें डॉक्टर्स नही देखते तो परिवार की आर्थिक मदद इस स्तर पर नही हो पाती।
सोशल मीडिया बेहद ताकतवर माध्यम है।
कहते हैं मिस्र की 2011 वाली क्रांति भी ट्विटर के कारण संभव हो पाई थी। उसदिन हैशटैग #25th Jan ट्विटर पर ट्रेंड हुआ हुआ और दोपहर तक 80 हज़ार लोग तहरीर स्क्वायर पर इकट्ठा हो गए।अगले 18 दिन में हुस्नी मुबारक की 30 साल पुरानी हुकूमत खाक में मिल गई।
सोशल मीडिया की ताकत को नज़रन्दाज़ नही किया जाना चाहिए। कब कौनसा ब्लैक फ्राइडे हम डॉक्टर्स के भी अच्छे दिन ले आये कहा नही जा सकता।
-डॉ राज शेखर यादव
फिजिशियन एंड ब्लॉगर