“एक आंधी आई” और
उड़ा ले गई गरीबों के चिथडे छप्पर
कल तक जो थे नींव उद्योगों की
आज बने राहों के कंकड़ ।
जिनके कारण थे महल चौबारे
और जिनसे चलते थे कल कारखाने
आज उनकी हालत तो देखो
मोहताज हुए वो दाने-दाने ।
क्या यहीं है मानवता
कहाँ गया वो दीन धरम
जिनके कारण थी खिली रोशनी
आज उनके पैरों तले धरा गरम ।
यूं तो धार्मिक पदयात्रियों के लिए
हर जगह मौजूद रहते हैं भामाशाह
फिर इन पदयात्रियों की हालत देख
क्यूं उनके हृदय से न निकले आह।
संवेदनाएं हृदय से न निकालो बाहर
संवेदनाओं में ही रहता अल्लाह ईश्वर
संवेदनाएं ही है मानवता का आधार
इस विषय पर कुछ तो करो विचार।